वाक्समिति
From जैनकोष
पाँच समितियों में दूसरी समिति । निर्ग्रंथ साधु को इसका पालन करना होता है । इसमें सदा कर्कश और कठोर वचनों का त्याग और यत्नपूर्वक धार्मिक कार्यों में हित, मित और प्रिय भाषा का व्यवहार किया जाता है । इसका अपर नाम भाषा-समिति है । पद्मपुराण 14.108, हरिवंशपुराण 2. 123 देखें भाषा समिति