विचित्रांगद
From जैनकोष
सौधर्म स्वर्ग का एक देव । इसने स्वर्ग से आकर उत्तर की ओर पूर्वदिशाभिमुख एक सर्वतोभद्र नामक प्रासाद की रचना करके इस भवन के चारों ओर सुलोचना का स्वयंवर मंडप रचा था । महापुराण 43.204-207, पांडवपुराण 342-45
सौधर्म स्वर्ग का एक देव । इसने स्वर्ग से आकर उत्तर की ओर पूर्वदिशाभिमुख एक सर्वतोभद्र नामक प्रासाद की रचना करके इस भवन के चारों ओर सुलोचना का स्वयंवर मंडप रचा था । महापुराण 43.204-207, पांडवपुराण 342-45