आर्यनंदि
From जैनकोष
पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार (देखें इतिहास - 7.7) चंद्रसेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरु थे। तदनुसार इनका समय ई.767-798 आता है।
( आत्मानुशासन प्रस्तावना 8/A.N.Upadhey; H.L.Jain); (हरिवंश पुराण/पं. पन्नालाल)।
पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार (देखें इतिहास - 7.7) चंद्रसेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरु थे। तदनुसार इनका समय ई.767-798 आता है।
( आत्मानुशासन प्रस्तावना 8/A.N.Upadhey; H.L.Jain); (हरिवंश पुराण/पं. पन्नालाल)।