विपाकसूत्र
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
द्वादशांग श्रुत का 11वां अंग–देखें श्रुतज्ञान - III।
पुराणकोष से
द्वादशांगश्रुत का ग्यारहवां अंग । इसमें ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों के विपाक का एक करोड़ चौरासी लाख पदों में वर्णन किया गया है । महापुराण 34.945, हरिवंशपुराण 2.94, 10.44