क्षेत्र - संज्ञी
From जैनकोष
- संज्ञी मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
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नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
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३६४ |
संज्ञी |
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त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
मूलोघ वत् |
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३६५ |
असंज्ञी |
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सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणान्तिक वत् |
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१३६ |
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संज्ञी |
१ |
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स्व ओघ वत् |
— |
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— |
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१३६ |
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२-४ |
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मूलोघ वत् |
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१३६ |
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असंज्ञी |
१ |
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स्व ओघ वत् |
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