क्षेत्र - गति
From जैनकोष
- जीवों के क्षेत्र की आदेश प्ररूपणा
संकेत—दे. क्षेत्र/४/१. प्रमाण–१. (ध.४/१,३,२-९२/१०-१३८); २. (ध.७/२,६,१-१२४/२९९-३६६)- गति मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समुद्घात |
|
नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
|
||||||||||
नरक गति |
||||||||||
३०१‐३०३ |
|
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मारणान्तिकवत् |
|||
५७‐६६ |
३०१‐३०३ |
१‐७ पृथिवी सामान्य |
१ |
च/असं;मसं |
च/असं;मसं |
च/असं;मसं |
च/असं;मसं |
च/असं;तिअसंमसं |
मारणान्तिकवत् |
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समुद्घात |
|
नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
|||||||||
६४-६५ |
|
|
२ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
६५ |
|
|
३ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
६५ |
|
|
४ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
मारणान्तिकवत् |
|
५७ |
|
प्रथम पृथिवी |
१-४ |
— |
— |
स्व ओघ (नारकी |
— |
— |
|
|
६५ |
|
२-६ पृथिवी |
१ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
मारणान्तिकवत् |
|
६५ |
|
|
२ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
६५ |
|
|
३ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
|
६५ |
|
|
४ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
मारणान्तिकवत् |
|
६५ |
|
सप्तम पृथिवी |
१ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
मारणान्तिकवत् |
|
६५ |
|
|
२ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
|
६५ |
|
|
३-४ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
|
|
|
|
|
तिर्यंच गति |
||||||||
|
३०४ |
सामान्य |
|
सर्व |
ति/सं; त्रि/असं; म×असं |
सर्व |
च/असं; म×असं |
सर्व |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३०६ |
पंचेन्द्रिय तिर्य०सामान्य |
|
त्रि/असं; म×असं |
त्रि/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति×असं; त्रि/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३०६ |
पंचेन्द्रिय तिर्य० पर्याप्त |
|
त्रि/असं; म×असं |
त्रि/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति×असं; त्रि/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३०६ |
पंचेन्द्रिय तिर्य० योनिमति |
|
त्रि/असं; म×असं |
त्रि/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति/असं; म×असं |
ति×असं; त्रि/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३०८ |
पंचेन्द्रिय तिर्य०लब्ध्यपर्याप्त |
|
च/असं; म×असं |
|
च/असं; म×असं |
|
ति×असं; त्रि/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
६६ |
|
सामान्य |
१ |
सर्व |
ति/सं; द्वि/असं |
ति/सं; द्वि/असं |
ति/असं० |
मा./क. |
मारणान्तिकवत् |
|
६७ |
|
|
२ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
मा./क. |
मारणान्तिकवत् |
|
६८ |
|
|
३ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
|
मारणान्तिकवत् |
|
६७ |
|
|
४ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
मा./क. |
मारणान्तिकवत् |
|
६८ |
|
|
५ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
मा./क; च/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७० |
|
पंचेन्द्रिय सामान्य |
१ |
त्रि/असं; ति/सं; म×असं |
स्वस्थान से कुछ कम |
स्वस्थान से कुछ कम |
च/असं; म×असं |
पा./ख. |
मारणान्तिकवत् |
|
७० |
|
|
२ |
त्रि/असं; ति/सं; म×असं |
स्वस्थान से कुछ कम |
स्वस्थान से कुछ कम |
च/असं; म×असं |
पा./ख. |
मारणान्तिकवत् |
|
७० |
|
|
३ |
त्रि/असं; ति/सं; म×असं |
स्वस्थान से कुछ कम |
स्वस्थान से कुछ कम |
च/असं; म×असं |
... |
... |
|
७०-७ |
|
|
४ |
त्रि/असं; ति/सं; म×असं |
स्वस्थान से कुछ कम |
स्वस्थान से कुछ कम |
च/असं; म×असं |
मा/ख (त्रि/असं;/ति×असं) |
मारणान्तिकवत् |
|
७०-७ |
|
|
५ |
त्रि/असं; ति/सं; म×असं |
स्वस्थान से कुछ कम |
स्वस्थान से कुछ कम |
च/असं; म×असं |
मा/ख (त्रि/असं;/ति×असं) |
... |
|
७०-७ |
|
पंचेन्द्रिय पर्याप्त |
१-५ |
— |
— |
स्व ओघ (तिर्यंच सामान्य) वत् |
— |
— |
|
|
७० |
|
पंचेन्द्रिय योनिमति |
१-३ |
— |
— |
— |
स्व ओघ (तिर्यंच सामान्य) वत् |
— |
— |
|
७०-७२ |
|
|
४-५ |
— |
— |
— |
स्व ओघ (तिर्यंच सामान्य) वत् |
— |
— |
|
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत्स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व |
|
नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
|||||||||
७३ |
|
पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्त |
१ |
त्रि/असं; म×असं |
... |
त्रि/असं; म×असं |
|
मा/ख (त्रि/असं; म×असं) |
मारणान्तिकवत् |
|
|
|
मनुष्य गति— |
||||||||
|
३०९ |
सामान्य |
... |
च/असं |
च/असं |
च/असं;म×सं० |
च/असं;म×सं. |
त्रि/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
मूलोघवत् |
|
३०९-३१० |
मनुष्य पर्याप्त |
... |
च/असं |
च/असं |
च/असं;म×सं० |
च/असं;म×सं. |
च/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
मूलोघवत् |
|
३०९-३१० |
मनुष्यणी |
... |
च/असं |
च/असं |
च/असं;म×सं० |
च/असं;म×सं. |
च/असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३११ |
लब्ध्यपर्याप्त |
... |
च/असं; म×असं |
... |
च/असं; प×असं |
च/असं;म×सं. |
त्रि/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७४ |
|
सामान्य |
१ |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
च/असं; म×सं |
त्रि/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७४ |
|
|
२ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
त्रि/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७५ |
|
|
३ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
|
|
|
७४ |
|
|
४ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
त्रि/असं; ति×असं; म×अ |
मारणान्तिकवत् |
|
७५ |
|
|
५ |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
च/असं; म×असं |
त्रि/असं; ति×असं; म×अ |
मारणान्तिकवत् |
|
७५ |
|
|
६-१३ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
— |
|
७४-७५ |
|
मनुष्य पर्याप्त |
१-१३ |
— |
— |
स्व ओघवत् |
— |
— |
— |
|
७४-७५ |
|
मनुष्यणी |
१-५ |
— |
— |
स्व ओघवत् |
— |
— |
४ गुणस्थान में भी |
|
७४-७५ |
|
|
६ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
उपपाद नहीं है |
|
७४-७५ |
|
|
७-१३ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
— |
|
७६ |
|
लब्घ्यपर्याप्त |
१ |
च/असं; म×सं |
|
च/असं; म×सं० |
|
त्रि/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिक वत् |
|
|
|
देव गति— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
३१४-३१५ |
सामान्य (ज्योतिषी प्रधान) |
|
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ति/असं; ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३१६ |
भवनवासी |
|
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ति×असं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३१७ |
व्यन्तर ज्योतिषी |
|
— |
— |
देव सामान्यवत् |
— |
— |
— |
|
|
३१८ |
सौधर्म-ईशान |
|
— |
— |
भवनवासी वत् |
— |
— |
— |
|
|
३१९ |
सनत्कुमार-अपराजित |
|
— |
— |
भवनवासी वत् |
— |
— |
— |
|
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
|
नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
|||||||||
|
३१९ |
सर्वार्थसिद्धि |
|
म+सं/सं.व |
म+सं/सं |
म+सं/सं |
म+सं/सं |
म+सं/सं |
मारणान्तिकवत् |
|
७७ |
|
सामान्य |
१ |
त्रि×असं; ति/सं; म×असं |
त्रि×असं; ति/सं; म×असं |
त्रि×असं; ति/असं; म×असं |
त्रि×असं; ति/सं; म×असं |
त्रि×असं; ति/सं; म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७७ |
|
|
२-४ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
— |
|
७७-७९ |
|
भवनवासी |
१ |
च/असं, ति/असं, म×असं |
च/असं, ति/असं, म×असं |
त्रि×असं; ति/असं; म×असं |
च/असं, ति/असं, म×असं |
च/असं, ति/असं, म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
७९ |
|
|
२-४ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
४थे गुणस्थानमें |
|
७९ |
|
व्यन्तर ज्योतिषी |
१-४ |
— |
— |
स्वओघ (देवसामान्य) वत् |
|
— |
उपपाद नहीं |
|
७९-८० |
|
सौधर्म ईशान |
१ |
— |
भवनवासी वत् |
— |
— |
स्वओघ (दे० |
मारणान्तिकवत् |
|
८० |
|
|
२-४ |
|
|
स्वओघ (देवसामान्य) वत् |
— |
— |
— |
|
८० |
|
सनत्कुमार से उपरिमग्रैवेयक तक |
१ |
— |
— |
स्वओघ (देवसामान्य) वत् मूलोघवत् |
— |
— |
— |
|
८१ |
|
अनुदिश से जयन्त |
४ |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|
८१ |
|
सर्वार्थसिद्धि |
४ |
म/सं |
म/सं |
म/सं |
म/सं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिकवत् |
|