क्षेत्र - ज्ञान
From जैनकोष
- ज्ञान मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
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नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
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३५० |
मति श्रुत अज्ञान |
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सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
ति×असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणान्तिक वत् |
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|
३५१ |
विभंग ज्ञान |
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त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/असं, म×असं |
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|
११६ |
३५२ |
मति श्रुत ज्ञान |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
केवल तै०आ०मूलोघ वत् |
११६ |
३५२ |
अवधि ज्ञान |
|
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
केवल तै०आ०मूलोघ वत् |
११६ |
३५२ |
मन:पर्यय ज्ञान |
|
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×सं |
म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
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११६ |
३५२ |
केवल ज्ञान |
|
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
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केवल केवली समुद्घात मूलोघ वत् |
११७ |
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मति श्रुत अज्ञान |
१ |
सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, द्वि×असं |
सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, द्वि×असं |
सर्व |
मारणान्तिक वत् |
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११८ |
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२ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
११८ |
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विभंग ज्ञान |
१ |
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स्व ओघ वत् |
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— |
— |
११९ |
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२ |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, ति×असं म×असं |
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११९ |
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मति श्रुत ज्ञान |
४-१२ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
११९ |
|
अवधि ज्ञान |
४-१२ |
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मूलोघ वत् |
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— |
— |
११९ |
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मन:पर्यय ज्ञान |
६-१२ |
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मूलोघ वत् |
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१२० |
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केवलज्ञान |
१३-१४ |
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मूलोघ वत् |
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— |
— |