खदिरसार
From जैनकोष
म.पु./७४/श्लोक विन्ध्याचल पर्वतपर एक भील था। मुनिराज के समीप कौवे के मांस का त्याग किया।(३८६-३९६) प्राण जाते भी नियम का पालन किया। अन्त में मरकर सौधर्मस्वर्ग में देव हुआ (४१०-)। यह श्रेणिक राजा का पूर्व का तीसरा भव है।–देखें - श्रेणिक