काम्य मंत्र
From जैनकोष
पूजा-विधानादि के लिए सामान्य मंत्रों का निर्देश महापुराण/40/ में दिया गया है। इसमें प्रथम भूमि शुद्धि के मंत्र, तत्पश्चात पीठिका मंत्र पढे जातें है, इसके पश्चात् काम्यमंत्र बोलना चाहिए ।
सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।24-25।
तत्पश्चात् क्रम से जातिमंत्र, निस्तारकमंत्र, ऋषिमंत्र, सुरेंद्रमंत्र, परमराजादि मंत्र, परमेष्ठी मंत्र, इन छ: प्रकार के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
देखें मंत्र - 1.6।