सुधर्मा
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
सौधर्म इंद्र की सभा। विशेष-देखें सौधर्म ।
पुराणकोष से
(1) समवसरण की एक सभा । यह विजयदेव के भवन से उत्तरदिशा में स्थित है । यह छ: कोश लंबी, तीन कोश चौड़ी, नो कोश ऊँची और एक कोश गहरी है । इसके उत्तर में एक जिनालय है । हरिवंशपुराण 5.417
(2) रथनूपुर नगर के राजा सहस्रार के पुत्र इंद्र को एक सभा । पद्मपुराण 7.1-2, 18, 28