कीलित संहनन
From जैनकोष
धवला 6/1,9-1,36/73/8 ........जस्स कम्मस्स उदएण अवज्जहड्डाइं खीलियाइं हवंति तं खीलियसरीरसंघडणं णाम। ......। = ......... जिस कर्म के उदय से वज्र-रहित हड्डियाँ और कीलें होती हैं वह कीलक शरीर संहनन नामकर्म है। ........
विशेष देखें संहनन