अर्हं
From जैनकोष
बीज मंत्र । यह आदि में अकार, अंत में हकार तथा मध्य में बिंदु सहित रेफ मुक्त होता है । इसका ध्यान करने से मुमुक्षु दुःखी नहीं होते । यह बीजमंत्र ‘‘अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यो नमः’’ इस रूप में सोलह अक्षरों वाला और ‘‘अर्हदभ्यो नमः’’ के रूप में छ: अक्षरों वाला होता है । महापुराण 21. 231-235