क्रूरामर
From जैनकोष
धातकीखंड द्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र के निवासो अरिंजय और उसकी पत्नी जयावती का पुत्र । यह धनश्रुति का अग्रज था और सहस्रशीर्ष राजा का सेवक । इसने महामुनि केवली से दीक्षा धारण कर ली तथा अंत में शतार स्वर्ग में देव और वहाँ से चयकर मेघवाहन हुआ । पद्मपुराण 5.128-133