क्षुद्रभव
From जैनकोष
(गोम्मटसार जीवकांड/ मूल /गाथा संख्या 123-125/332-335); (कार्तिकेयानुप्रेक्षा/ मूल या टीका/ गाथा संख्या 137/75)
एक अंतर्महुर्त मे लब्ध्यपर्याप्तक के संभव निरंतर क्षुद्र भव | |||||
---|---|---|---|---|---|
क्रम | मार्गणा | एक अंतर्महुर्त के भव | |||
नाम | सूक्ष्म / बादर | प्रत्येक मे | योग (जोड़) | ||
स्थावर | 1 | पृथ्वीकायिक | सूक्ष्म | 6012</t> | 66132 |
2 | बादर | 6012 | |||
3 | अपकायिक | सूक्ष्म | 6012 | ||
4 | बादर | 6012 | |||
5 | तेजकायिक | सूक्ष्म | 6012 | ||
6 | बादर | 6012 | |||
7 | वायुकायिक | सूक्ष्म | 6012 | ||
8 | बादर | 6012 | |||
9 | वनस्पति साधारण | सूक्ष्म | 6012 | ||
10 | बादर | 6012 | |||
11 | वनस्पति अप्रति प्रत्येक | बादर | 6012 | ||
विकलेंद्रिय | 12 | द्वींद्रिय | बादर | 80 | 180 |
13 | त्रींद्रिय | बादर | 60 | ||
14 | चतुरिंद्रिय | बादर | 40 | ||
पंचेंद्रिय | 15 | असंज्ञी | बादर | 8 | 24 |
16 | संज्ञी | बादर | 8 | ||
17 | मनुष्य | बादर | 8 | ||
कुल योग | 66336 |
एक अंतर्मुहूर्त में संभव क्षुद्रभवों का प्रमाण—देखें आयु - 7.3।