चित्तोसवा
From जैनकोष
चक्रपुर नगर के राजा चक्रध्वज और उसकी रानी मनस्विनी की पुत्री । पुरोहित-पुत्र पिंगल इसे हरकर विदग्धनगर ले गया और वहाँ रहने लगा था । वहाँ इससे नगर का राजा कुंडलमंडित भी इसे हर ले गया था । इन अपहरणों से दु:खी यह संसार से विरक्त हो गयी और अंत में यह तप करके मरी । यह स्वर्ग में देवी हुई । वहाँ से च्युत होकर सीता के रूप में जन्मी । कुंडलमंडित भी इसी के साथ गर्भ में आया था और भामंडल के रूप में जन्मा था । पद्मपुराण 26.4-18, 111-112