आलोपन
From जैनकोष
(षट्खंडागम 14/5, 6/सूत्र 41-63/38-46) जो सो आलावणबंधो णाम तस्स इमो णिद्देसो - सेसगहाणं वा जावाणं वा जुगाणं वा गड्डीणं वा गिल्लीणं वा रहाणं वा संदणाणं वा सिवियाणं वा गिहाणं वा पासादाणं वा गोवुराणं वा तोरणाणं वा से कट्ठेण वा लोहेण या रज्जुणा वा वब्भेण वा दब्भेण वा जे चामण्णे एवमादिया अण्णदव्वाणमण्णदव्वेहि आलावियाणं बंधो होदि सो सव्वो आलावणबंधो णाम ।41। ....... ( राजवार्तिक/5/24/9/488/36 )
- जो आलापनबंध है उसका यह निर्देश है - जो शकटों का, यानों का, युगों का, गड्डियों का, गिल्लियों का, रथों का, स्यंदनों का, शिविकाओं, गृहों, प्रासादों, गोपुरों और तोरणों का काष्ट से, लोह, रस्सी, चमड़े की रस्सी और दर्भ से जो बंध होता है तथा इनसे लेकर अन्य द्रव्यों से लालापित अन्य द्रव्यों का जो बंध होता है वह सब आलापनबंध है ।41। ....... ।
देखें बंध - 1.4।