हुंडसंस्थान
From जैनकोष
नामकर्म के छ: संस्थानों में एक संस्थान-अंगों और उपागों की वेतरतीव-असमान रचना । नारकियों के शरीर की रचना ऐसी ही होती है । (महापुराण 10.95) (हरिवंशपुराण 4.368)
नामकर्म के छ: संस्थानों में एक संस्थान-अंगों और उपागों की वेतरतीव-असमान रचना । नारकियों के शरीर की रचना ऐसी ही होती है । (महापुराण 10.95) (हरिवंशपुराण 4.368)