GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 22 - अर्थ
From जैनकोष
[जीवाः] जीव, [पुद्गलकायाः] पुद्गलकाय, [आकाशम्] आकाश और [शेषौअस्तिकायौ] शेष दो अस्तिकाय [अमयाः] अकृत हैं, [अस्तित्वमयाः] अस्तित्वमय हैं और [हि]
वास्तव में [लोकस्य कारणभूताः] लोक के कारणभूत हैं ।