जीवंधर चंपू
From जैनकोष
उपरोक्त जीवन्धर स्वामी के चरित्र को वर्णन करने वाले कई ग्रन्थ हैं आ.वादीभसिंह सूरि नं.२ (ई.७७०-८६०) द्वारा रचित गद्यचूड़ामणि तथा छत्रचूड़ामणि के आधार पर कवि हरिचन्द (ई.श.१० का मध्य) ने जीवन्धर चम्पू की रचना की। इसमें संस्कृत का काव्य सौन्दर्य कूट-कूटकर भरा हुआ है। इसमें ११ आश्वास हैं तथा ८०४ श्लोक प्रमाण हैं। इतना ही गद्यभाग भी है। (ती./४/२०)।