देशसत्य
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
मूलाचार/309-313 जणपदसच्चं जध ओदणादि रुचिदे य सव्वभासाए। बहुजणसंमदमवि होदि जं तु लोए तहा देवी।309। ....... जो सब भाषाओं से भात के नाम पृथक्-पृथक् बोले जाते हैं जैसे चोरु, कूल, भक्त आदि ये देशसत्य हैं। .....
अधिक जानकारी के लिये देखें सत्य - 1।
पुराणकोष से
दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । हरिवंशपुराण 10.105