आरंभ क्रिया
From जैनकोष
यह श्रावक की 25 क्रियाओं में से 21वीं क्रिया है।
सर्वार्थसिद्धि/6/5/323/11 छेदनभेदनविशसनादि क्रियापरत्वमन्येन वारंभे क्रियमाणे प्रहर्ष: प्रारंभक्रिया। = छेदना-भेदना और रचना आदि क्रियाओं में स्वयं तत्पर रहना और दूसरे के करने पर हर्षित होना प्रारंभक्रिया है। ... ( राजवार्तिक/6/5/7/16 )।
क्रिया के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें क्रिया - 3.2।