ज्ञात
From जैनकोष
( राजवार्तिक/6/6/3/512/1 ) हिनस्मि इत्यसति परिणामे प्राणव्यपरोपणे ज्ञातमात्रं मया व्यापादित इति ज्ञातम् । अथवा ‘अयं प्राणी हंतव्य:’ इति ज्ञात्वा प्रवृत्ते: ज्ञातमित्युच्यते।=मारने के परिणाम न होने पर भी हिंसा हो जाने पर ‘मैंने मारा’ यह जान लेना ज्ञात है। अथवा, ‘इस प्राणी को मारना चाहिए’ ऐसा जानकर प्रवृत्ति करना ज्ञात है।