द्रोणाचार्य
From जैनकोष
(पा.पु./सर्ग/श्लो.) कौरव तथा पाण्डव के गुरु थे। (८/२१०-२१२)। अश्वत्थामा इनका पुत्र था। (१०/१४६-१५२)। पाण्डवों का कौरवों द्वारा मायामहल में जलाना सुनकर दु:खी हुए। (१२/१९७) कौरवों की ओर से अनेक बार पाण्डवों से लड़े। (१९/९१)। अन्त में स्वयं शस्त्र छोड़ दिये। (२०/२२२-२३२)। धृष्टार्जुन द्वारा मारे गये (२०/२३३)।