रंभ
From जैनकोष
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में पदक नगर का एक धनिक एवं गणितज्ञ-पुरुष इसके चंद्र और आवलि दो शिष्य थे । मुनियों को आहार देने के फलस्वरूप यह देवकुरु नामक उत्तम भोगभूमि में आर्य हुआ था । पद्मपुराण - 5.114-116, 135
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में पदक नगर का एक धनिक एवं गणितज्ञ-पुरुष इसके चंद्र और आवलि दो शिष्य थे । मुनियों को आहार देने के फलस्वरूप यह देवकुरु नामक उत्तम भोगभूमि में आर्य हुआ था । पद्मपुराण - 5.114-116, 135