ध्रुवसेन
From जैनकोष
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार महावीर भगवान् की मूल परम्परा में चौथे ११ अंगधारी थे। आपके अपरनाम ध्रुवसेन तथा द्रुमसेन भी थे। समय‒वी.नि./४२३-४३६ (ई.पू.१०५-९१) दृष्टि नं.३ के अनुसार वी.नि.४४२-४५४।‒ देखें - इतिहास / ४ / ४ ।
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार महावीर भगवान् की मूल परम्परा में चौथे ११ अंगधारी थे। आपके अपरनाम ध्रुवसेन तथा द्रुमसेन भी थे। समय‒वी.नि./४२३-४३६ (ई.पू.१०५-९१) दृष्टि नं.३ के अनुसार वी.नि.४४२-४५४।‒ देखें - इतिहास / ४ / ४ ।