नागश्री
From जैनकोष
―(पा.पु./सर्ग/श्लोक नं.) अग्निभूति ब्राह्मण की पुत्री थी। सोमभूति के साथ विवाही गयी (२३/७९-८२)। मिथ्यात्व की तीव्रता वश। (२३/८८) एक बार मुनियों को विष मिश्रित आहार कराया। (२३/१०३)। फलस्वरूप कुष्ठरोग हो गया और मरकर नरक में गयी। (२४/२-६)। यह द्रोपदी का दूरवर्ती पूर्वभव है।–देखें - द्रौपदी।