अनाकार
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
पंचसंग्रह / प्राकृत 1/178
..। उवओगो सो दुविहो सागारो चेव अणागारो।
= उपयोग दो प्रकारका है-साकार और अनाकार।
पंचसंग्रह / प्राकृत / अधिकार 1/180
इंद्रियमणोहिणा वा अत्थे अविसेसिऊण जं गहण। अंतोमुहुत्तकालो उवओगो सो अणागारो ॥180॥
= इंद्रिय, मन और अवधिके द्वारा पदार्थोंकी विशेषताको ग्रहण न करके जो सामान्य अंश का ग्रहण होता है, उसे अनाकार उपयोग कहते हैं। यह भी अंतर्मूहूर्त काल तक होता है ॥180॥
कषायपाहुड़ पुस्तक 1/1,15/$307/4
तव्विवरीयं अणायारं।
= उस साकारसे विपरीत अनाकार है। अर्थात् जो आकार के साथ नहीं वर्तता वह अनाकार है।
- देखें आकार - 1.4 ।
पुराणकोष से
दर्शनोपयोग । यह अनाकार होता है । महापुराण 24.101-102