अनीकपालक
From जैनकोष
वसुदेव और देवकी का चौथा पुत्र । इसका पालन सुदृष्टि सेठ ने किया था । इसकी बत्तीस स्त्रियां थी । अरिष्टनेमि के समवसरण में जाकर और उनसे धर्मोपदेश सुनकर यह दीक्षित हो गया था । इसकी मुक्ति गिरिनार पर्वत पर हुई थी । महापुराण 71.293-296, हरिवंशपुराण - 33.170, हरिवंशपुराण - 59.115-120, हरिवंशपुराण - 65.116-19