अप
From जैनकोष
श्रावस्ती नगरी में उत्पन्न, कंप और उसकी भार्या अंगिका का पुत्र । धर्म की अनुमोदना करने से इसे यह पर्याय प्राप्त हुई था । अविनयी होने से पिता ने इसे घर से निकाल दिया था । वन में इसने अचल नामक पुरुष के पैर में लगे काँटे को निकाल दिया था इसलिए उसने इसे अपने हाथ का कड़ा दिया या । अचल ने ही इसे ‘अप’ यह नाम दिया था । अचल की सहायता से ही राज्य प्राप्त करने के बाद अंत में यह निर्ग्रंथ-दीक्षा लेकर संयमपूर्वक मरा और देवेंद्र हुआ । स्वर्ग से चयकर यह कृतांतवक्त्र नाम का शत्रुघ्न का बलवान् सेनापति हुआ । पद्मपुराण - 91.23-28,पद्मपुराण - 91.39-42, 47