आत्मप्रवादपूर्व
From जैनकोष
चौदह पूर्वों में सातवाँ पूर्व । इसमें छब्बीस करोड़ पद है जिनमें अनेक युक्तियों का संग्रह है तथा कर्तृत्व, भोक्तृत्व, नित्यत्व, अनित्यत्व आदि जीव के धर्मों और उनके भेदों का सयुक्तिक निरूपण है । हरिवंशपुराण - 2.98,हरिवंशपुराण - 2.10. 108-109