कवलचांद्रायणव्रत
From जैनकोष
कवल प्रमाण भोजन का एक व्रत । अमावस्या के दिन उपवास पश्चात् प्रतिपदा के दिन एक कवल, आगे प्रतिदिन एक-एक ग्रास की वृद्धि से चतुर्दशी के दिन चौदह आस, पूर्णिमा के दिन उपवास और फिर एक-एक ग्रास प्रतिदिन कम करते हुए चतुर्दशी के दिन एक ग्रास और अमावस्या के दिन उपवास इस प्रकार यह वत इकतीस दिनों में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.90-91