तप्त
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- प्रथम नरक का नवाँ पटल–देखें नरक - 5.11 तथा रत्नप्रभा
- तृतीय पृथिवी का प्रथम पटल–देखें नरक - 5 तथा लोक/2/8।
पुराणकोष से
(1) तीसरी नरकभूमि के प्रथम प्रस्तार का इंद्रकबिल । इसकी चारों दिशाओं में सौ और विदिशाओं में छियानवें श्रेणीबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण - 4.80,हरिवंशपुराण - 4.118
(2) एक ऋद्धि । इससे तपस्वी उत्कृष्ट तप करता है । महापुराण 11.82