द्रव्यबंध
From जैनकोष
भावबंध के निमित्त से जीव और कर्म का परस्पर संक्लिष्ट होना । यह बंध चार प्रकार का होता है― प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश । वीरवर्द्धमान चरित्र 16.144-145
भावबंध के निमित्त से जीव और कर्म का परस्पर संक्लिष्ट होना । यह बंध चार प्रकार का होता है― प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश । वीरवर्द्धमान चरित्र 16.144-145