मत्यनुपालन
From जैनकोष
क्षत्रियों का दूसरा धर्म-लोक परलोक संबंधी हिताहित ज्ञान का पालन करना । यह अविद्या के नाश से होता है । अविद्या मिथ्याज्ञान है तथा मिथ्याज्ञान अतत्त्वों में तत्त्वबुद्धि है और तत्त्व अर्हंत-वचन है । महापुराण 4.24,31-33
क्षत्रियों का दूसरा धर्म-लोक परलोक संबंधी हिताहित ज्ञान का पालन करना । यह अविद्या के नाश से होता है । अविद्या मिथ्याज्ञान है तथा मिथ्याज्ञान अतत्त्वों में तत्त्वबुद्धि है और तत्त्व अर्हंत-वचन है । महापुराण 4.24,31-33