मिथ्योपदेश
From जैनकोष
सत्याणुव्रत का प्रथम अतिचार― किसी को धोखा देना तथा स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त करने वाली क्रियाओं में दूसरों की अन्यथा प्रवृत्ति कराना । हरिवंशपुराण - 58.166
सत्याणुव्रत का प्रथम अतिचार― किसी को धोखा देना तथा स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त करने वाली क्रियाओं में दूसरों की अन्यथा प्रवृत्ति कराना । हरिवंशपुराण - 58.166