मैरेय
From जैनकोष
उत्तरकुरु-भोगमूमि के निवासियों का एक पेय पदार्थ । यह मद्यांग जाति के कल्पवृक्षों से निकाला जाता था । यह सुगंधित और अभूत के समान स्वादिष्ट होता था । महापुराण 9.37
उत्तरकुरु-भोगमूमि के निवासियों का एक पेय पदार्थ । यह मद्यांग जाति के कल्पवृक्षों से निकाला जाता था । यह सुगंधित और अभूत के समान स्वादिष्ट होता था । महापुराण 9.37