मौखर्य
From जैनकोष
स. सि./७/३२/३७०/१ धाष्टर्यप्रायं यत्किंचनानर्थकं बहुप्रलापित्वं मौखर्यम्। = धीठता को लिये हुए निःसार कुछ भी बहुत बकवास करना मौखर्य है। (रा. वा./७/३२/३/५५६/२०)।
स. सि./७/३२/३७०/१ धाष्टर्यप्रायं यत्किंचनानर्थकं बहुप्रलापित्वं मौखर्यम्। = धीठता को लिये हुए निःसार कुछ भी बहुत बकवास करना मौखर्य है। (रा. वा./७/३२/३/५५६/२०)।