राजविद्या
From जैनकोष
राज्य संचालन की विद्या । यह धर्म, अर्थ और काम तीनों पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली होती है और राजा के लिए परमावश्यक है । महापुराण 4.136, 11. 33
राज्य संचालन की विद्या । यह धर्म, अर्थ और काम तीनों पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली होती है और राजा के लिए परमावश्यक है । महापुराण 4.136, 11. 33