विभूषांग
From जैनकोष
कल्पवृक्ष । ये तीसरे काल में पल्य का आठवां भाग समय शेष रह जाने तक सामर्थ्यवान् रहते हैं । तब तक इनसे विभिन्न प्रकार के आभूषण और प्रसाधन सामग्री प्राप्त होती रहती है । महापुराण 3. 39, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92
कल्पवृक्ष । ये तीसरे काल में पल्य का आठवां भाग समय शेष रह जाने तक सामर्थ्यवान् रहते हैं । तब तक इनसे विभिन्न प्रकार के आभूषण और प्रसाधन सामग्री प्राप्त होती रहती है । महापुराण 3. 39, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92