वीरभद्र
From जैनकोष
एक चारणऋद्धिधारी मुनि । ये चारण मुनि गुणभद्र के साथ जठर कौशिक की एक तापसों की बस्ती में आये थे । दोनों ने बस्ती के नायक तपस्वी वशिष्ठ के पंचाग्नि-तप को अज्ञान तप कहा था । इस पर कुपित होकर वशिष्ठ ने इनसे अज्ञान क्या है यह जानने की इच्छा प्रकट की थी । इनके साथी गुणभद्र ने वशिष्ठ को युक्तिपूर्वक समझाया । फलस्वरूप वशिष्ठ ने उनसे दीक्षा लेकर उपवास सहित तप करना आरंभ कर दिया था । महापुराण 70.322-328 देखें वशिष्ठ