वीर्यप्रवादपूर्व
From जैनकोष
अंग-प्रविष्ट-श्रुतज्ञान के चौदह पूर्वों में तीसरा पूर्व । इसने सत्तर लाख पदों में अतिशय पराक्रमी सत्पुरुषों के पराक्रम का वर्णन है । हरिवंशपुराण - 2.98,हरिवंशपुराण - 2.10.88
अंग-प्रविष्ट-श्रुतज्ञान के चौदह पूर्वों में तीसरा पूर्व । इसने सत्तर लाख पदों में अतिशय पराक्रमी सत्पुरुषों के पराक्रम का वर्णन है । हरिवंशपुराण - 2.98,हरिवंशपुराण - 2.10.88