वैभार
From जैनकोष
भरतक्षेत्र के आर्यखंड एक पर्वत । दिग्विजय के समय भरतेश की सेना ने इसे पार किया था । यह राजगृह नगर के पांच पर्वतों में दूसरा पर्वत है । इसका आकार राजगृह-नगर के दक्षिण में त्रिकोण है । तीर्थंकर महावीर का यहाँ समवसरण आया था । महापुराण 29.46, 63.140, हरिवंशपुराण - 3.54,हरिवंशपुराण - 3.181.32, पांडवपुराण 1. 98