शत्रु
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
सच्चा शत्रु मोह है-देखें मोहनीय - 1.5।
पुराणकोष से
आत्महितकारी तप, दीक्षा और व्रत आदि ग्रहण करने में बाधक कुबुद्धि । (वीरवर्द्धमान चरित्र 8.44)
आत्महितकारी तप, दीक्षा और व्रत आदि ग्रहण करने में बाधक कुबुद्धि । (वीरवर्द्धमान चरित्र 8.44)