शय्या-परीषह
From जैनकोष
बाईस परीषहों में एक परीषह । ध्यान और अध्ययन में हुए श्रम के कारण रात्रि में भूमि में एक करवट से बिना कुछ ओढ़े हुए अल्प निद्रा लेना शय्या परीषह है । मुनि इसे सहर्ष सहते हैं । उनके मन में इस परीषह को जीतने में कोई विकार पैदा नहीं होता । महापुराण 36.120, हरिवंशपुराण - 63.102