रतिषेण
From जैनकोष
म. पु./५१/श्लोक नं. ‘‘पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी का राजा था । (२ - ३) । पुत्र को राज्य देकर जिनदीक्षा ग्रहण की । (१२ - १३)। सोलहकारण भावनाओं का चिन्तवन कर तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया । अन्त में संन्यास मरण कर वैजयन्त विमान में अहमिन्द्र हुआ । (१३-१५)।