श्रद्धावान्
From जैनकोष
(1) हैमवत क्षेत्र के मध्य में स्थित वर्तुलाकार विजयार्ध पर्वत । यह मूल में एक हजार योजन, मध्य में सात सौ पचास और मस्तक पर पाँच सौ योजन चौड़ा है तथा एक हजार योजन ऊँचा है । इसका दूसरा नाम नाभिगिरि है । हरिवंशपुराण - 5.161-162
(2) पश्चिम विदेहक्षेत्र का एक वक्षारगिरि । महापुराण 63.203, हरिवंशपुराण - 5.230-231