सुखोदयक्रिया
From जैनकोष
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में इंद्र-पद की प्राप्ति कराने वाली छत्तीसवीं क्रिया । इस क्रिया से पुण्यात्मा श्रावक इंद्र के योग्य सुख भोगते हुए देवलोक में रहता है । महापुराण 38.60, 200-201
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में इंद्र-पद की प्राप्ति कराने वाली छत्तीसवीं क्रिया । इस क्रिया से पुण्यात्मा श्रावक इंद्र के योग्य सुख भोगते हुए देवलोक में रहता है । महापुराण 38.60, 200-201