स्पर्शनक्रिया
From जैनकोष
सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिंतन करना । हरिवंशपुराण - 58.70
सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में कर्मबंध की कारणभूत एक क्रिया-अत्यधिक प्रमादी होकर स्पर्श योग्य पदार्थ का बार-बार चिंतन करना । हरिवंशपुराण - 58.70