अर्जुन
From जैनकोष
(पाण्डवपुराण /सर्ग/श्लो.नं.) पूर्वके तीसरे भवमें सोममूति ब्राह्मणका पुत्र था /२३/८२। पूर्वके दूसरे भवमें अच्युत स्वर्गमें देव/२३/१०६। वर्तमान भवमें राजा पाण्डुका कुन्ती रानीसे पुत्र उत्पन्न हुआ/८/१७०-७३। अपर नाम धनंजय व धृष्टद्युम्न भी था/१९/२१२। द्रोणाचार्यसे शब्दवेधनी धनुर्विद्या पायी/८/२०८-२१६। तथा स्वयंवरमें गाण्डीव धनुष चढ़ाकर द्रौपदीको वरा/१५/१०५। युद्धमें दुर्योधन आदिक कौरवोंको परास्त किया/१९/९१। अन्तमें दीक्षा धारणकर ली। दुर्योधनके भानजेकृत उपसर्गको जीत मोक्ष प्राप्त किया/२५/१२-१७,५१-१३३।
अर्जुन-
(भारतीय इतिहास १/१८६)-आप एक कवि थे, अपर नाम अश्वमेघ दत्त था समय ई.पू.१५००।
अर्जुन वर्मा-
(दर्शनसार / प्रस्तावना ३६-३७/नाथूरामजी प्रेमी) आप सुभटवर्माके पुत्र और देवपालके पिता थे। मालवा (मगध) के राजा थे। धारा व उज्जैनी नगरी राजधानी थी। समय-ई.१२०७-१२१८।