वक्रग्रीव
From जैनकोष
- कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) का अपर नाम (दे. कुन्दकुन्द)।
- मूलसंघ विभाजन के अन्तर्गत पात्रकेसरी (ई. श. ६ - ७) ( के शिष्य और वज्रनन्दि नं. २ (वि. श. ६) के शिष्य। समय लगभग ई. श. ६-७/ई. ११२५ के एक शिलालेख में अकलंक देव के पश्चात् सिंहनन्दि का और उनके पश्चात् वक्रग्रीव का नाम आता है। (दे. इतिहास/७/१); (जै. २/१०१)।